अगला प्रधानमंत्री कौन ?

अजय दीक्षित
अभिमान सिर चढक़र बोलता है । जयशंकर प्रसाद ने चन्द्रगुप्त नाटक में एक पात्र से कहलवाया है कि सत्ता का सुख बहुत मादक परन्तु सारहीन होता है । सन् 2024 अब लगभग 20 महीने बाद है जब लोकसभा के लिए चुनाव होगा । निश्चय ही मोदी जी सबसे सशक्त उम्मीदवार होंगे । भाजपा को अपनी सफलता का दावा इस कारण भी है अब विपक्षी दलों की रैली में भी मोदी-मोदी के नारे सुनाई पड़ते हैं । मोदी जी ने की फैसले लिये हैं जिससे जनता परेशान हुई है । उसमें नोटबन्दी जी.एस.टी. और कोरोना के कारण अचानक लॉकडाउन प्रसिद्ध है । नोटबन्दी ने आम लोगों को बैंकों के बाहर सुबह 5 बजे से ही लाईन में लगा दिया था । बहुतों के पुराने नोट नहीं बदल सके । घर की बड़ी बूढिय़ों के पास घर खर्च से बचाये पैसे थे, वे नये नोटों में बदलवा नहीं सकीं ।

विदेशों में रहने वालों के पास कुछ पैसे थे वे भी नहीं बदल सके । बहुत से बीमारी के कारण बैंक की भीड़ में खड़े होकर नोट नहीं बदल सके । फिर भी उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में भाजपा जीत गई । जी.एस.टी. को भी व्यापारियों ने बर्दाश्त कर लिया । महंगाई के पक्ष में बोलने वाले भी कम नहीं हैं । देश के विकास के लिए पैसा चाहिए । इसी से महंगाई को झेलना पड़ेगा । कोरोना के कारण लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा ! सन् 2020 और 2021 में इसी कारण लगभग 80 हजार मजदूरों ने अपनी जान गंवाई । वे हाल में घोषित सरकारी आंकड़े हैं । सन् 2014 के बाद मोदी जी ने कहना शुरू कर दिया था कि वे कांग्रेस विहीन भारत चाहते हैं । यूं गुपचुप कई भाजपाई इससे सहमत नहीं हैं क्योंकि प्रजातंत्र में विपक्ष की अपनी भूमिका होती है । गडकरी को तो संसदीय बोर्ड से बाहर का रास्ता इसी कारण देखना पड़ा कि वे देश में विपक्ष के रूप में कांग्रेस को सशक्त देखना चाहते हैं । यूं अंदरूनी तौर पर अब मोदी जी का कोई विरोधी भाजपा में नहीं है । आडवाणी जी व जोशी जी मार्गदर्शक मण्डल में है, परन्तु उनकी राय कभी ली नहीं जाती ।

कहते हैं आर.एस.एस. के मोहन भागवत से मोदी जी की केमिस्ट्री ठीक है । यद्यपि राष्ट्रीय स्वयंसेवक के वरिष्ठ जोशी जी व अन्य कई से मोदी जी का 36 का आंकड़ा है, ऐसा जानकार कहते हैं । मोदी जी अब राजनैतिक दलों में परिवारवाद को कोसते हैं । परिवारवाद तो भाजपा में भी है । मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनावों में रिश्तेदारी खूब चली । रक्षा मंत्री के पुत्र नोएडा से विधायक हैं । मध्यप्रदेश में कैलाश विजयवर्गीय पुत्र विधायक हैं । खोज खबर ली जाए तो यह लिस्ट भी काफी बड़ी निकलेगी । अब मोदी जी ने कहना शुरू किया है कि कई राजनैतिक दल अपराधियों को बचाने में लगे हैं । यूं छांट-छांट कर विपक्षी नेताओं के यहां ई.डी., सी.बी.आई. व अन्य जांच एजेंसियों के छापे पड़ते रहते हैं । भाजपा ने अब लोटस ऑपरेशन शुरू किया हुआ है । दूसरी पार्टी के बड़े नेताओं का भाजपा में स्वागत है । उनके दुष्कर्मों पर कोई रेड नहीं होती । कई मुख्यमंत्री जब भाजपा में नहीं थे तो उन पर स्वयं भाजपा ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे अब उन पर कोई रेड नहीं होती ।
हाल फिलहाल तो बिहार में सुशासन बाबू नीतीश कुमार ने मोदी जी को तगड़ा झटका दिया है । अब वे लगातार 2024 के चुनाव में भाजपा को मात्र 50 सीटों तक समेटने की घोषणा कर चुके हैं ।

  परन्तु विपक्ष में कई प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश रखते हैं । ममता बनर्जी, अरविन्द केजरीवाल, नीतीश कुमार, के. चंद्रशेखर राव, शरद चाव्हाण, आदि की लम्बी सूची है । कांग्रेस कहती है वह ही राष्ट्रीय पार्टी है । अत: राहुल गांधी ही अगले प्रधानमंत्री होंगे ?
असल में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक दूसरे के कड़े विरोधी हैं । जे.डी.यू. ने दिल्ली के विधानसभा में अपने उम्मीदवार खड़े किये थे । तब वे मोदी जी के साथ थे । पहले नीतीश कुमार जब भी दिल्ली आते थे तो अरविन्द केजरीवाल के यहां ठहरते थे । अब दोनों में तल्खय़िां हैं या नहीं, पता नहीं । ममता बनर्जी अपने को विपक्षी एकता का सूत्रधार कहती हैं ।

असल में उत्तर पूर्व में भाजपा की उपस्थिति संकेतात्मक है । उत्तर भारत के रीति-रिवाजों से अलग उत्तर पूर्व के राजनैतिक दलों का भाजपा से गठबंधन मात्र औपचारिक है । वे न तो हिन्दुत्व को मानते हैं । न ही गाय उनके लिए माता है। मेघालय मात्र सत्तात्मक समाज है । दक्षिण में भाषा की बाधा के कारण भाजपा सफल नहीं हो पा रही है । प्रजातंत्र में सशक्त विपक्ष की सकारात्मक भूमिका है । परन्तु यह तभी होगा जबकि विपक्ष एकजुट हो जिसकी कोई संभावना नहीं है अत: मोदी जी का रास्ता सन् 2024 में साफ है । बाकी ईश्वर अधीन ।

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