आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि संसद द्वारा हाल में पारित कृषि संबंधी ऐतिहासिक कानून खेती और किसानों के लिए नये अवसर उत्पन्न कर रहे हैं। इनसे किसान की भूमिका अन्नदाता से उद्यमी की हो जाएगी। जन-नेता पद्मभूषण डॉ बालासाहेब विखे पाटिल की आत्मकथा का वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था के स्थानीय मॉडल और स्थानीय उद्यमी देश को आगे बढ़ायेंगे। स्थानीय मॉडलों का उदाहरण देते हुए उन्होंने महाराष्ट्र में चीनी उद्योग, गुजरात में दूध उद्योग और पंजाब और हरियाणा में गेंहू उत्पादन में हुई क्रांतियों का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद देश में एक ऐसा दौर भी था, जब जनता के लिए पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्ध नहीं था। इस दौर में सरकार की प्राथमिकता फसलों की पैदावार बढ़ाने की थी। इसीलिए विभिन्न फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया। किसानों ने अपनी मेहनत से अधिक उत्पादन किया और देश की खाद्यान्न की आवश्यकता पूरी की।
साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पहले किसानों के मुनाफे पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। लेकिन अब सरकार के दृष्टिकोण में बदलाव आया है।
किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में पहली बार ठोस कदम उठाये गये हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी बढ़ोतरी की गई है। फसल बीमा योजना के माध्यम से किसानों को फायदे दिये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसान सम्मान निधि योजना से किसानों को बड़ी मदद मिली है और अब उन्हें थोड़े से कर्ज के लिए किसी के पास नहीं जाना पड़ता। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के जरिये एक लाख करोड़ रूपये किसानों के बैंक खातों में भेजे गये हैं। उन्होंने पैदावार बढ़ाने के लिए खेती के पुराने और नये तरीकों में समन्वय की आवश्यकता पर भी जोर दिया।