उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूलों में पेरेंट्स की जेब कटनी तय, सरकार की सुस्ती से लटका फीस ऐक्ट

देहरादून। उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूल पर लगाम लगाने की लाख कोशिशों के बावजूद भी सरकार सफल नहीं हो पा रही है। सरकार की सुस्ती की वजह से प्राइवेट स्कूलों में फीस ऐक्ट लटक गया है। अभिभावकों की जेब कटनी तय है। राज्य के प्राइवेट स्कूलों में फीस और एडमिशन प्रक्रिया पर नियंत्रण तथा वहां कार्यरत शिक्षक-कार्मिकों के वेतन संशोधन को फिलहाल कुछ और समय तक भूल ही जाइये। पिछली सरकार के अंतिम दौर में बनाया गया राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण (एसएसएसए) भी लंबे समय के लिए ठंडे बस्ते में चला गया।

शिक्षा विभाग अब राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के स्तर से भविष्य में बनने वाले प्राधिकरण का इंतजार करेगा। उसके अनुसार ही उत्तराखंड में प्राधिकरण को बनाया जाएगा। पिछले कई साल से प्राइवेट स्कूलों में फीस और एडमिशन को नियंत्रित होने की आस लगाए लोगों को शिक्षा विभाग के ताजा रुख से झटका लगा है।

उत्तराखंड में प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा कसने के लिए पिछले करीब 10 साल से फीस ऐक्ट की कवायद चल रही थी। वर्ष 2012- से 2017 की कांग्रेस सरकार ने इसका मसौदा तक तैयार कर लिया था। लेकिन अंतिम क्षणों में कदम पीछे खींच लिए। इसके बाद वर्ष 2017 से 2022 की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में भी पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे कार्यकाल संभालने के साथ ही फीस एक्ट लागू करने के लिए सक्रिय हो गए थे।

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लेकिन, पूरे पांच साल तक सरकार इस पर फाइलों और बयानों से आगे नहीं बढ़ी। इस साल चुनाव से ठीक पहले आचार संहिता लगने के तीन दिन पहले पांच जनवरी 2022 को जल्दबाजी में राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण बनाने का आदेश जरूर जारी हो गया। इस प्राधिकरण को स्कूलों की फीस और एडमिशन पर अंकुश लगाने की बात कही थी। प्राइवेट स्कूलों में कार्यरत शिक्षक-कर्मचारियों के वेतन-मानदेय तय करने का अधिकार दिया जाना था। तब सरकार का कहना था कि यह प्राधिकरण राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अधीन होने की वजह से फीस एक्ट से ज्यादा प्रभावी होगा। निदेशक, एआरटी, सीमा जौनसारी का कहना है कि एनसीईआरटी के स्तर से मानक प्राधिकरण बनाया जाना है। केंद्रीय स्तर पर बनने वाले प्राधिकरण के अनुसार ही उत्तराखंड में भी अगला कदम उठाया जाएगा।

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