हाईकोर्ट ने प्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार से मांगा जवाब

उत्तराखंड के पहाड़ों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आज सरकार से चार सप्ताह में विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है। इस मामले में अब आगामी 10 नवम्बर को सुनवाई होगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ ने शांति प्रसाद भट्ट की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सरकार को ये निर्देश दिये हैं। याचिकाकर्ता की ओर से प्रदेश खासकर पहाड़ों में खराब स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सन् 2013 में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी। उच्च न्यायालय ने उस पर संज्ञान लेते हुए याचिकाकर्ता को विगत 25 सितंबर 20 को निर्देश दिये थे कि वह प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और जिला अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर एक प्रश्नावली तैयार कर अदालत के समक्ष पेश करे।
याचिकाकर्ता की ओर से आज अदालत में सभी प्रश्नों व सुझावों की सूची उच्च न्यायालय को सौंपी गयी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में सुविधाओं को लेकर 31, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को लेकर 32 व जिला अस्पतालों में सुविधाओं को लेकर 34 प्रश्न तैयार कर अदालत के समक्ष रखे गये हैं। नेगी ने बताया कि इसके बाद पीठ ने इन सभी प्रश्नों को लेकर सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। अस्पतालों में चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं और बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। गर्भवती महिलायें चिकित्सा के अभाव में दम तोड़ देती हैं।

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