उत्तराखंड : पारंपरिक खेल में एक-दूसरे पर फेंके फल-फूल और पत्थर, 75 बग्वाली वीर घायल

चंपावत। उत्तराखंड के चंपावत जिले में रक्षाबंधन के दिन पारंपरिक बग्वाल खेल में 75 बग्वाली वीर और दर्शक दीर्घा में बैठे कुछ लोग मामूली रूप से घायल हो गए। यह बग्वाल मां बाराही धाम देवीधुरा मंदिर प्रांगण में खेला गया। फल फूलों के साथ यह बग्वाल खेली गई। महज 7 मिनट 25 सेकेंड चली बग्वाल में 75 बग्वाली वीर और दर्शक दीर्घा में बैठे कुछ लोग मामूली रूप से घायल हो गए।

7 मिनट 25 सेकेंड चला खेल

रक्षाबंधन की सुबह ब्रज बाराही मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद खोलीखांड दूबचौड़ मैदान में चार खाम और सात थोकों के रणबांकुरों ने मां के जयकारे के साथ मैदान की परिक्रमा की। वालिक और लमगड़िया खाम तैयार भी नहीं हुई थी कि अति उत्साह में गहड़वाल और चम्याल खाम के रणबाकुरों में बग्वाल शुरू कर दी। बग्वाल शुरू होने के एक मिनट बाद वालिक और लमगड़िया खाम के योद्धाओं ने मोर्चा संभाला। पुजारी का आदेश मिलते ही 11 बजकर 2 मिनट पर दोनों ओर से फल और फूल फेंके जाने लगे। कुछ मिनट बाद पत्थर भी चलने लगे, जिससे चारों खामों के 75 बग्वाली वीर घायल हो गए। 11 बजकर 9 मिनट और 25 सेकंड पर पुजारी ने शंखनाद कर बग्वाल रोकने का आदेश दिया।

7 मिनट 25 सेकेंड तक चले इस खेल में दोनों ओर से फल, फूल और पत्थर बरसाए गए।

घायल योद्धाओं ने एक-दूसरे का हाल पूछा

कुल 7 मिनट 25 सेकंड तक चली बग्वाल के बाद दोनों तरफ के योद्धाओं ने एक-दूसरे की कुशल क्षेम पूछी। इससे पहले बग्वाल खेलने के लिए वालिक, चम्याल, लमगड़िया और गहड़वाल खामों के अलावा सात थोकों के जत्थे मां के गगनभेदी जयकारों के साथ तरकश में नाशपाती के फल और हाथ में बांस से बनी ढाल (फर्रे) से सुसज्जित होकर दूबचौड़ मैदान पहुंचे। मां बज्र बाराही के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया था। देवीधुरा बाजार की ओर से गहड़वाल खाम व चम्याल खाम और मंदिर की ओर वालिक व लमगड़िया खाम के लड़ाके युद्ध के लिए तैयार थे। पुजारी ने चंवर डुलाते हुए जैसे ही मैदान में प्रवेश किया बग्वाल रोक दी गई।

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने किया उपचार

बग्वाल में घायल लोगों का स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उपचार किया। देवीधुरा बग्वाल युद्ध में घायल 75 योद्धाओं का उपचार बिच्छू घास से भी किया गया। मान्यता है कि पत्थर लगने से घायल व्यक्ति के घाव पर बिच्छू घास लगाने से वह जल्दी ठीक होता है।

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