प्रदेश के फर्जी शिक्षक प्रकरण में उच्च न्यायालय ने कल अपने महत्वपूर्ण आदेश में सरकार को निर्देश दिया कि आगामी 28 दिसंबर तक सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच कर अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत करें। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की युगलपीठ ने हल्द्वानी के काठगोदाम स्थित स्टूडेंट गार्जियन वेलफेयर कमेटी दमुवादूंगा की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किये हैं। अदालत में पेश शिक्षा निदेशक (प्राथमिक शिक्षा) आरके कुंवर की ओर से अदालत को बताया गया कि शिक्षा महकमा की ओर से पांच हजार शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच संम्पन्न करवायी गयी है और वे जांच में सही पाये गये हैं।
इससे पहले शिक्षा महकमा की ओर से कहा गया था कि विभाग 13 हजार शिक्षकों की जांच करवा चुका है। इसके बाद अदालत ने सोमवार तक जांच रिपोर्ट के नतीजे अदालत में पेश करने के निर्देश दिये थे। इससे पहले सरकार की ओर से अदालत से लगभग 33 हजार से अधिक शिक्षकों की जांच के लिये डेढ़ से तीन साल का समय मांगा गया था। सरकार की ओर से अदालत को बताया गया था कि प्राइमरी शिक्षा के तहत प्रदेश में कुल 33,065 शिक्षक तैनात हैं। इस प्रकार लगभग 132260 दस्तावेजों की जांच करायी जानी प्रस्तावित है। इस पूरी प्रक्रिया में डेढ़ से तीन साल का वक्त लगेगा।
आपको बतादें अभी तक जांच में प्रदेश में 87 फर्जी शिक्षकों के मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 61 के खिलाफ कार्यवाही भी सरकार की ओर से की जा चुकी है। सरकार की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि तीन शिक्षकों के दस्तावेज एसआईटी जांच में फर्जी पाये गए थे लेकिन विभागीय जांच के बाद उन्हें क्लीन चिट दे दी गयी। याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि प्रदेश में फर्जी शिक्षकों की संख्या हजारों में है और सरकार इस पूरे प्रकरण की जांच में लापरवाही बरत रही है।