अभियान के तहत लोगों को आगामी त्यौहारी सीजन में ख़रीददारी के समय कम से कम कचरा पैदा करने के  लिए प्रेरित किया जाएगा

देहरादून स्थित एसडीसी फाउंडेशन ने दीवाली के अवसर पर एक विशेष अभियान शुरू किया है। इस अभियान को ‘ये दिवाली जिम्मेदारी वाली‘ नाम दिया गया है। अभियान के तहत लोगों को दीवाली में इस तरह से ख़रीददारी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा कि कचरा कम से कम पैदा हो। अनुमान लगाया जाता है कि दीवाली जैसे त्यौहारी सीज़न के दौरान कचरे का उत्पादन लगभग दो गुना हो जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए आम लोगों को कचरे का फिर से उपयोग करने और कम से कम कचरा पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे एक ओर जहां अपने आस-पास को साफ-सुथरा रखा जा सकेगा, वहीं दूसरी ओर पर्यावरणीय क्षति को भी कम किया जा सकेगा। अभियान के तहत आम नागरिकों को यह भी बताया जाएगा कि कोविड-19 ने हम सभी को प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाये रखने के तरीके पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है। इसलिए, नवीन जीवनशैली के साथ प्रकृति से सामंजस्य स्थापित करना आवश्यक हो गया है।

यह अभियान प्लास्टिक कचरा, खाद्य कचरा, कपड़ा कचरा और बढ़ते उपभोक्तावाद जैसे वषयों पर केंद्रित है। यह अभियान त्योहारी सीज़न में रिस्पॉन्सिबल परचेजिंग की वकालत करता है और नया प्रोडक्ट्स खरीदने के बजाय पुराने प्रोडक्ट्स को फिर से इस्तेमाल करने की वकालत करता है। एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियान का कहना है कि कोविड-19 ने हमें अपनी आदतों को बदलने के लिए मजबूर कर दिया है। यह अभियान बहुत ही बुनियादी लेकिन बेहद महत्वपूर्ण है। हम जो भोजन कर रहे हैं, जो सामग्री हम खरीद रहे हैं, अभियान उनमें विकल्प तलाशने के लिए प्रेरित करता है। इस अभियान के माध्यम से हम लोगों को शिक्षित करने और उन्हें हरित विकल्प अपनाने व प्रकृति और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को लाभ पहुंचाने के लिए प्रेरित करेंगे। अनूप नौटियाल के अनुसार अभियान को सतत विकास लक्ष्य 12 के साथ जोड़ा गया है जो ‘जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन‘ के बारे में बात करता है।

पोस्टर, वीडियो, कहानी, और सर्वेक्षण के माध्यम से इस अभियान का प्रचार किया जा रहा है। अभियान लोगों को एक ऐसा विकल्प उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य करेगा, जिससे वे अपनी जीवन शैली को कम संसाधनों में बेहतर बना सकेंगे।  फाउंडेशन के लीड पब्लिक पॉलिसी एंड कम्युनिकेशंस ऋषभ श्रीवास्तव के अनुसार, हम चाहते हैं कि लोग  त्योहार धूमधाम से मनायें, लेकिन ख़रीददारी इस तरह से करें कि बिना जरूरत का कोई भी सामान उनके घर में न आये। वे कहते हैं कि त्योहारों के दौरान, हम अक्सर अनावश्यक ख़रीददारी करते हैं और इसका सीधा असर प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ता है। इसलिए, हम जितनी अधिक ज़िम्मेदारी से ख़रीददारी करेंगे, प्राकृतिक संसाधनों पर उतना कम दबाव पड़ेगा और कम प्रदूषण होगा।

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