केजरीवाल और राहुल का फर्क

कांग्रेस नेता राहुल गांधी सचमुच जोखिम ले रहे हैं। राजनीति खास कर चुनावी राजनीति की जो टैक्टिकल लाइन होती है उसे वे छोड़ कर भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं। जिस दिन उन्होंने विनायम दामोदर सावरकर का नाम लेकर और उन पर हमला करके कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया उसके एक दिन बाद ही उनकी यात्रा में सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन का चेहरा रहीं मेधा पाटकर शामिल हुईं। राहुल उनके कंधे पर हाथ रख कर चलते दिखे। भारतीय जनता पार्टी ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभा में कहा कि मेधा पाटकर ने गुजरात और गुजरातियों को देश भर में बदनाम किया और ऐसे आदमी के साथ कांग्रेस नेता यात्रा कर रहे हैं।

अब सोचें, क्या राहुल गांधी को पता नहीं था कि मेधा पाटकर के साथ यात्रा करने पर गुजरात में पार्टी को नुकसान हो सकता है? उनको पता था फिर भी उन्होंने अपनी विचारधारा की वजह से जोखिम लिया। इसी मामले में बिना विचारधारा वाली आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी का फर्क दिखता है। जब गुजरात के चुनाव की घोषणा नहीं हुई थी तब कहीं से यह खबर मीडिया में प्लांट की गई कि आम आदमी पार्टी मेधा पाटकर को गुजरात में मुख्यमंत्री का चेहरा बना सकती है। इस बात पर केजरीवाल इस तरह भडक़े कि सारी मर्यादा भूल गए। उन्होंने इसे झूठी खबर बताते हुए कहा कि उन्होंने भी सुना है कि भारतीय जनता पार्टी सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री का चेहरा बनाने जा रही है। सोचें, मेधा पाटकर का नाम जोड़े जाने भर से केजरीवाल कितना भडक़े थे और राहुल उनके कंधे पर हाथ रख कर चल रहे थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *